यादों को मैं तेरी भुला पाता कैसे
यादों को मैं तेरी भुला पाता कैसे
तस्वीर मैं वो आँखों से मिटा पाता कैसे| यादों को मैं तेरी तेरी साँसों की ख़ुशबुओं में डूबे वो हँसी पल अपनी साँसों से मैं अलग कर पाता कैसे| यादों को मैं तेरी खाएँ हैं इस दिल ने ज़ख़्म बहुत से उन ज़ख़्मों पर मैं ख़ुद मलहम लगा पाता कैसे| यादों को मैं तेरी जिस्म से रूह को अलग कर पाना था कितना आसान मिलन की उस मीठी कसक को अलग कर पाता कैसे| यादों को मैं तेरी |
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bahot acchi peshkash hai aapki.... aate rahen likhte rahen Shaad........... |
Waaahhhh ……………………………………… Bahaut Khoob
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धन्यवाद आप इसी तरह हमारा हौसला बढाते रहे.
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