मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी का मैं उस आँगन का इकलौता, तुम उस घर की कली जहाँ नित होंठ करें गीतों का न्योता, मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले तुम जो आँचल ओढ़े उसमें नभ ने सब तारे जड़ डाले मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी उम्र आँसुओं की बढ़ जाए तुम आई इस हेतु कि मेंहदी रोज़ नए कंगन जड़वाए, तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... इतना दानी नहीं समय जो हर गमले में फूल खिला दे, इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी हर ख़त का उत्तर भिजवा दे, मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... gopaldas neeraj mujhe bahut pasand hai yah kavita aap bhi padhiyega |
Bahut badiya lagi mujhe yeh kavita. Waise bhi Neeraj ji ki sabhi kavitayen acchi hain. Anyway,thanks for sharing.
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Wah shakuntala ji kya khoon kaam kiya aapne mujhe bhi ye kavita bahut bahut pasand aai bahut bahut shukriya hamare saath bhi share karne ke liye aur bhi aisi kavita ho to jaroor share kariyega. Keep sharing........:) |
Bohat acchi kavita hai......hum sab ke saath baantne ke liye dhanyawaad...:)
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मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी का मैं उस आँगन का इकलौता, तुम उस घर की कली जहाँ नित होंठ करें गीतों का न्योता, मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले तुम जो आँचल ओढ़े उसमें नभ ने सब तारे जड़ डाले मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी उम्र आँसुओं की बढ़ जाए तुम आई इस हेतु कि मेंहदी रोज़ नए कंगन जड़वाए, तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... इतना दानी नहीं समय जो हर गमले में फूल खिला दे, इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी हर ख़त का उत्तर भिजवा दे, मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का... bahut hikamaal ki shayri se rubru karvaya aapne saadhuvaad |
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mujhe neeraj ki yah kavita itani achi lagty he kai bar padhty hu fir bhi nayi lagty hai aur padhty hu |
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zarur jo mujhe pasand he un kavitao ko post karungy |
bahut hi achi poem hai.
thanks for sharing. |
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sada khush raho |
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shukriya shakuntala vyas ji....:) |
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bahut sunder kavita!! padhkar achcha laga!!:) khush rahiye !! aapka........ mitra.........prem anjana |
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thanks a lot god bless u sada khushj raho |
shakuntla jee
radhe radhe neeja ki is sundar rachna ko share karne ka shukriya aapki pasand lajawaab hai aati rahiye duaon ke saath |
namaste diii, bahut acchi kavita share ki hai aapne....thanks for sharing.
apna khayal rakhiyega aapki Sunita |
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mujhe neeraj saheb ki kavitaye bahut pasand hai jkhusi hui ki aap ko bhi pasand aay thanks |
ati sunder .......thanks for sharing :)
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