Jo Naseeb main na ho.... -
25th April 2025, 10:51 AM
जो नसीब मैं ना हो...
कितना भी चाहने पे नहीं मिलता...
दिल का क्या है...
इसे तो चाँद भी चाहिए...
पर... हाथों की लकीरों के आगे...
ज़ोर इसका भी नहीं चलता....
क्यों मांगता है रोज़ उसे
दुआओं में...
रब को मंजूर होता तो..
वो दूर ही नहीं होता...
ख्वाबों का क्या है..
ये तो जागते सोते आते हैं...
सिर्फ मनाने से रूठी हुई ..
तकदीरों का फैसला नहीं होता...
पर सच तो ये भी है की दिल के आगे
किसी का ज़ोर नहीं चलता…
यूँही हसरतों के सैलाब में
कोई जान बूझ के नहीं गिरता
जो नसीब मैं ना हो...
कितना भी चाहने पे मिलता नहीं...
Mudattein hui… Mulakat hue….
Suno… Aie… Zindagi…..
Is bar jate jate….
Jara milti jana……
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