अब कोई भी शह सताती नहीं -
31st October 2019, 12:59 PM
अब कोई भी शह सताती नहीं
भूली कोई बात याद आती नहीं l
जो गुज़र रही है वही तो हकीक़त है
ज़िन्दगी झूठे ख्वाब दिखाती नहीं l
राह-ए-मंजिल पे चलना ही नसीब है
मंजिल खुद-ब –खुद पास आती नहीं l
साया कुछ इस कदर से बिछड़ा है मुझसे
के अब कोई भी तरकीब काम आती नहीं l
सुकूं के लिए उम्र भर भटकते रहे, मगर
जो पास है उसपे कभी नज़र जाती नहीं l
वक़्त के साथ चलना ही मुनासिब है “यश”
समझ में ये बात वक़्त रहते आती नहीं l
(जसपाल )
Baghbaan
|