मौखाने से शराब._मोहंमदअली’वफा’ -
14th July 2007, 08:55 AM
मौखाने से शराब._मोहंमदअली’वफा’
कौन ला कर दे हमें उउसका भी कुछ जवाब.
साकी उठाके ले गया मौखाने से शराब.
उनकी नजर ने और भी रुस्वा किया हमें,
वरना फुरसद किसे रही कि देखते शबाब.
खो गये थे हम कभी गुबारे खवाब में
वल्लाह पूछिये नही उन रातोंका हिसाब.
शरमाके चांद चांदनी बिस्तर लपट गये,
उठ गया अलल सबह जब थोडासा निकाब.
खूश्बु कहां से भर गई अब सांसो मे फूलकी,
बरसो हुए हमने तो देखा नहीं गुलाब.
जुलमत कदे में हम जो गये सहरा भी ले गये,
और चांदनी ने रात भर उतारा नहीं हिजाब.
_मोहंमदअली’वफा’
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