आयना देखा__मुहम्मदअली वफा
अपनी सुरतको यहां भी रायगां देखा
अंधेरेमे पगलेने एक आयना देखा
ज़मीं पर ठोकरोंकी बौछार बरसी थी
मुजलीम ने रोता हुआ आस्मां देखा
चमन उजरा मगर उसका साथ न छोडा
लिये कांटोको अपनी गोदमें बागबां देखा
करे किससे शिकवा कमाई हाथकी जो है
नशेमनको हमारे नोचता महेरबां देखा
नहीं देख पाया वो वफा आखरी मंझिल
मुसाफिरने चल कर तो सारा जहां देखा