[
b]चीख के निकली---मुहम्मदअली वफा
[/b]अच्छा हुआ तनहाईयां सब साथ में रही
वरना शहरकी भीड यहांसे चीख के निकली
कब तक छुपाओगे तुम ये हकीकत को
मकतुलकी सदा खंजरोकों चीरके निकली
उस आखरी सांसका कैस था बिलकना
ये तल्ख हकीकत तो गलेसे तीरके निकली
दिलकश अदाएं गज़लकी ढूंढ रहे थे
देखा गया तो सिरहाने मीरके निकली
24नवे.2011 ब्राम्पटन