तसलीबका अनसर__मोहम्मदअली वफा -
20th March 2008, 11:21 AM
तसलीबका अनसर__मोहम्मदअली वफा
दामनमें हो फूल या अंगार ठीक है.
तुम्ही जो करते नहीं जब प्यार ठीक है.
खतरेमे हो जान का सौदा जहां हरदम.
आझादी से झंझिरका बार ठीक है.
वादे हो सब झूठ तो वादा नहीं होता,
रंजिश हो ठोडी मगर ईनकार ठीक है.
देदे मेरी रूहको तसलीबका अनसर
तौबा ये कलीसेसे , बाजार ठीक है
ये तेरे मतबमें एक ही दवा का चलन,
ईससे से तो ये ईश्कका बिमार ठीक है.
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