कया बने?_वफा -
10th January 2008, 09:13 PM
कया बने?_वफा
ख्वाबोंके सद्फ से तो हार क्या बने?
बिखरे हुए तबस्सुमसे प्यार कया बने?
घेराव चाहिये आहनी दस्तोंका वहां
ज़ूल्फोंकी असीरीसे तो दार कया बने?
नमरूद का आतिशकदा जिंदातु कर ए दोस्त,
ये ईश्ककी सोजिशसे तो नार कया बने?
चाहतें है हम तो देखे तुझे के जैसा तु,
ये अक्स के साये से तो दीदार क्या बने?
खो जाऎं तेरे ईश्क्की वादीमें हम ‘वफा.
ये मोका परस्त यादसे बीमार कया बने?
(10जान.2008)
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