खून बहाये बनझारा_कालु कव्वाल -
26th May 2007, 09:01 AM
कालु कव्वाल की नई निगारशात_कालु
बस्ती बस्ती परबत परबत खून बहाये बनझारा.
गर्दन नापे मज़्लूमोंकी लेके गन का एक तारा.
भगवी जमहुर डौदके आई नुसरत उसकी करने को
हक में लगाने कातिलों के झिंदाबादोका नारा.
कौन मराहै ,क्युं मराहै हमसे अदालत क्यों पूछे?
एनकाउंटर में हमने ईन बेनवाको है मारा.
हक की बात करोगे तो फिरसे जलेंगी जिंदे भी
कुछ भी हुआहै,होता रहेगा यही तो है कौमी धारा.
आपकी बिगडी किस्मतके हम मुहफिज बठें है
नहानेको भी खून से तुमको देंगे मोका दोबारा.
गांव गली और शहरोंमे रंग अपना दिखांयेगे
’कालु’ये तो ईब्तिदा है फिर नाचेगा हत्यारा.
_______’कलु’कव्वाल झांपाबजार_सुरत
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