शीशों में उतरना है _ मोहंमदअली’वफा’ -
5th September 2007, 10:02 AM
शीशों में उतरना है _ मोहंमदअली’वफा’
शरारे संग के लेकर ए शीशों में उतरना है.
अभीतो आहनी लबकी सुराहीमें पीघलनाहै.
चमकती बर्फकी राहें कहीं धोका नदे तुझको,
दिवारें है बहुत चिकनी ,चढनाहै संभलना है.
(5सप्टे.2007)
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