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Originally Posted by sunita virender
lijiye es khoobsurat gaane ka complete version
परदेसियों से ना अँखियाँ मिलाना
परदेसियों को है इक दिन जाना
सच ही कहा है पंछी इनको
रात को ठहरें तो उड़ जाएं दिन को
आज यहाँ, कल वहाँ है ठिकाना
परदेसियों से ना...
बागों में जब-जब फूल खिलेंगे
तब-तब ये हरजाई मिलेंगे
गुज़रेगा कैसे पतझड़ का ज़माना
परदेसियों से ना...
प्यार से अपने ये नहीं होते
ये पत्थर हैं ये नहीं रोते
इनके लिये ना आँसू बहाना
परदेसियों से ना...
ना ये बादल ना ये तारे
ये कागज़ के फूल हैं सारे
इन फूलों के न बाग लगाना
परदेसियों से ना...
हमने यही इक बार किया था
इक परदेसी से प्यार किया था
रो-रो के कहता है दिल ये दीवाना
परदेसियों से ना...
आती है जब ये रुत मस्तानी
बनती है कोई न कोई कहानी
अबके बरस देखे बने क्या फ़साना
परदेसियों से ना..
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Simply beautiful. ............