मुझे इतना सताया है मेरे अपने अज़ीज़ों ने -
12th September 2019, 01:05 PM
कोई चेहरा किसी को उम्र भर अच्छा नहीं लगता,
हसीं है चाँद भी, शब भर मगर अच्छा नहीं लगता.
अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता,
परिन्दों के न होने से शजर अच्छा नहीं लगता.
कभी चाहत पे शक करते हुए यह भी नहीं सोचा,
तुम्हारे साथ क्यों रहते अगर अच्छा नहीं लगता.
ज़रूरत मुझको समझौते पे आमादा तो करती है,
मुझे हाथों को फैलाते मगर अच्छा नहीं लगता.
मुझे इतना सताया है मेरे अपने अज़ीज़ों ने,
कि अब जंगल भला लगता है घर अच्छा नहीं लगता.
मेरा दुश्मन कहीं मिल जाए तो इतना बता देना,
मेरी तलवार को काँधों पे सर अच्छा नहीं लगता।।
Anil Arora
Naulekahe par tere khoon ki boond hai,
Motiyo ki jagah par jada kaun hai,
Jiski khatir daga chandini se kare,
Puch suraj ki woh dilruba kaun hai?
|