अपने होंठों पे इक ख़ैरात रख के लायो -
19th October 2006, 11:29 PM
अपने होंठों पे इक ख़ैरात रख के लायो
मुहब्बत की मीठी से कोई बात रख के लायो
िदल फ़क़ीर है ज़ेहन भी सवाली है
मेरे हाथ फैले हैं मेरा रुया रुया ख़ाली है
मेरी हैर प्यास को होंठों से छू के जायो
मेरे रुएँ रुएँ पैर अपने हाथ रख के जायो
अपने होंठों पे इक ख़ैरत रख के लायो
मेरी िंजदगी मे भी ईद की आमद हो
मुझ को भी क़ीमत िंमले मेरी भी ख़ुशमद हो
मेरे आसमा पे अपना हाथ रख के जायो
हैर एक तल्ख़ पल को चाँदनी बानायो
अपने होंठों पे तुम चाँद रख के लयो
फ़क़ीर ख़ैरत की आस मैं रुका है
तुम नज़र तो झुकाओ क़दमों मे झुका है
उस झुके हुए सवाली पे हाथ रख के जायो
इन होंठों पे होंठों की ख़ैरत रख एक जायो
mere ashar ko mahoob samjh ke chhoomte the jo
kho gaye hain woh log ab un kee justzoo hai
Last edited by gjgjgj; 31st October 2006 at 12:39 AM..
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