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Teri yaad -
23rd October 2010, 10:43 PM
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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1st December 2010, 03:39 PM
Quote:
Originally Posted by puregold
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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good...........................................
Rashmi Sharma
path par kaante bahut hain tere
par manjil par jaana too.ne
dar na jatilata se jeewan ki
isko saral banana too.ne
pasat na hone paye honsle
khud ka sahas khud hi juta le
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1st December 2010, 05:30 PM
Puregold ji, namaskar. Bhut hi acha likha hai. Magar Kuch lines jaise 'Samajh nhi aata itna Kyun bhav kha rhi hai' shayd zruri nhin thi. Iske bdle kuch aur bhi likha ja skta tha. Kisi ke liye negative thoughts hmare likhne ko kmjor krte hain. Khush rhain aur likhte rhiye.
Baghbaan
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2nd December 2010, 10:20 AM
Quote:
Originally Posted by puregold
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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Hello puregold ji........
Bahut Khoob likha he aapne ,,,,,,,,,,,,par where r u............wait ........
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4th December 2010, 10:41 AM
Quote:
Originally Posted by puregold
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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Hii Puregold ji,,,,,,,its so good !!!!! kya khoob likha he aapne......aise hi likhte rahiye,,,,,,or khush rahiye.........
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HI,Puregold -
26th December 2010, 01:29 PM
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
Kya khub likha hai appne in do line me ;
Jingi ki wo har hakikat bayan ki kuch lafjo me;
Its realy heart touching.
Thanks
Purvesh
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RADHE RADHE
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27th December 2010, 11:41 AM
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Originally Posted by puregold
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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bahut khoob............................................. .....
Aapka Apna Ishk
'इश्क' के बदले इश्क चाहना तिजारत है
इज़हार किससे करें महबूब तो दिल में है
email: rkm179@gmail.com
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27th December 2010, 03:53 PM
Quote:
Originally Posted by puregold
तेरी याद !!
न जाने क्यूँ आज बरबस तेरी याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
की ख्यालों से बेदखल करने की अनचाही कोशिशें ,
पहली दफा नाकामयाबी दिल को बहुत भा रही है ।
साथ हमने गुजारे थे जो खुबसूरत अनगिनत लम्हें ,
इस पल में यूँ लगा सदियाँ सिमटती जा रही है ,
दोस्ती और प्यार की कश्मकश में रही ,
इस तरह तू बता क्या इरादे जाता रही थी?
बदनसीबी इस कदर क्यूँ मेरे लिए ऐ खुदा !
इस दोस्ती की चाहत भी रंग नहीं ला रही है ,
खुशनसीबी इतनी बेपनाह ,कैसे उस गैर की,
बेफिक्र चाहत उसकी क्यूँ तुझपे गजब ढा रही है ,
न तेरा हुस्न बेजोर न मेरी शक्शियत आम है ,
समझ नहीं पाता फिर इतना क्यूँ भाव खा रही है ।
इसे अपनी खता माने,उस नासमझ से दिल लगाने की ,
या फिर तू एक अनमोल दोस्ती ठुकरा रही है ॥
अब जाना ,
ये मेरी बदनसीबी , न इम्तिहान है मेरा ,
सदियों से हसीनों की परंपरा चली आ रही है ,
सच्चे चाहने वाले की परवाह न करके सनम ,
तू सिर्फ उस सिलसिले को आगे बढा रही है ।
फिर भी ,
न जाने क्यूँ आज तेरी बहुत याद आ रही है ,
तुझे भूल पाने की हर कोशिश नाकाम जा रही है ,
सितमगर तुझे भूलने की हर असफल नयी कोशिश ,
यादों की फेहरिस्त में इजाफा ला रही है ।
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
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aadaab
aap ki rachnaa me gahraayi ke saath meethe ehsaas ki bheeni bheeni khushboo hai jo dil ko apnee pakad me le letee hai bada achha lagtaa hai job koi apne dil ki baat ko is tarah se dosron se baantTaa hai
dil se daad haazir hai
masood
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28th December 2010, 10:40 AM
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Originally Posted by purvesh shah
शायद ,
इसी कश्मकश में कभी भूल न पाऊँ तुझे ,
हर कोशिश में तू मुझे और याद आ रही है
Kya khub likha hai appne in do line me ;
Jingi ki wo har hakikat bayan ki kuch lafjo me;
Its realy heart touching.
Thanks
Purvesh
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Yaaaaaaas !!!!!!!! parveshji,,,,,,I agree with your comments........
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28th December 2010, 07:47 PM
thanks.........4 ur comlipents...........
main aasha karta hoon aapko meri aur bhi rachnayein pasand aayegi................!
" jindagi ki wo har hakikat to humne bayan kar di.........
par unka kya jo ye samajh k bhi samajh hi na paye.............
hum to unke haan k intzaar me baithe hi reh gaye........
aur wo na jaane kab k hamari zindagi se door chale gaye............."
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29th December 2010, 10:49 AM
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Originally Posted by puregold
thanks.........4 ur comlipents...........
main aasha karta hoon aapko meri aur bhi rachnayein pasand aayegi................!
" jindagi ki wo har hakikat to humne bayan kar di.........
par unka kya jo ye samajh k bhi samajh hi na paye.............
hum to unke haan k intzaar me baithe hi reh gaye........
aur wo na jaane kab k hamari zindagi se door chale gaye............."
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Hi,,,,,,puregold ji.......very nice poem ,really i like it,,,,,,,,kise kya samjhana chahte he.......???????
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