हां कह कर फिर साथ न देने से अच्छा है ना कह देन -
6th June 2019, 05:44 PM
हां कह कर फिर साथ न देने से अच्छा है ना कह देना
झूठे वादों पर रहने से बेहतर है कुछ खुद कर लेना l
कोई भुलाए या कोई रुलाये शिकवा कभी ना उनसे करना
वक़्त का सारा खेल है यारों आज ख़ुशी तो कल ग़म सहना l
मंदिर मस्ज़िद गिरिजा जाते फूल चढाते सिर को झुकाते
एक है मालिक जिसने जाना उसने माना दिल का कहना l
होश गवां कर जिनको भुलाया होश में आये तो कुछ ना पाया
जाने वाले कब मुड़ते हैं फिर चाहे बरसे नितदिन नैना l
बस इतना “यश” याद यह रखना चाहे पराया हो या अपना
देकर तुम कुछ आस ना रखना इक फ़क़ीर का है ये कहना l
(जसपाल)
Baghbaan
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