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Originally Posted by Azaz AHMAD
जिंदगी का मोड़ हमने बदल के देखा
थोडा तेरे साथ भी हमने चल के देखा
कैसे बदला एक ठोकर से मेरा जहाँ
मैं ने खुद तेरी बाहों मे संभल के देखा
जान गया के तुम भी करते हो सवेरा
सूरज ने शाम से पेहले ढल के देखा
कितना भी खुबसूरत है तेरा चेहरा
के चाँद ने भी बादलों से निकल के देखा
ये जो अभी जगमगाना हुआ आस्मां का
असल मे तुझे सितारों ने मचल के देखा
एक मजा है मोम की तरह जलने मे
तेरे ईश्क मे दील ने पिघल के देखा
.. Azaz AHMAD..
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wahhhh....accha lga yeh pyar bhare ehsaasoN se bharpoor gazal padna