छलकती आँखो का काजल है
धूप में राहत का एक बादल है
नाचती मचलती है पुरे गाँव में
लगता है वो लड़की पागल है
बातो से अपने करीब करती है
नखरे भी बडे अजीब करती है
वो पीछा भी नही छोड़ती मेरा
मेरे गले की वो जैसे साँकल* है
लगता है वो लड़की पागल है
वो दिन रात मुजको सताती है
अपनी सारी बाते मनवाती है
कुछ केह भी नही सकते उसे
हम तो उसके आगे कायल* है
लगता है वो लड़की पागल है
चेहरे पर तो चाँद की चाँदनी है
मगर अदा में उसकी सादगी है
घटाओ सी तो उसकी जुल्फें है
दरिया की लेहरो सा आँचल है
लगता है वो लड़की पागल है
मिर्ची से ज्यादा तीखे तेवर है
उसको अजीज अपने जेवर है
वो जमी से गर पाव भी उठाये
तो नाचती उसकी पायल है
लगता है वो लड़की पागल है
थिरकते थिरकते संभलती है
वो हवाओ के साथ चलती है
वो औरों को साया भी देती है
और वहीँ पेड़ों की बाकल* है
लगता है वो लड़की पागल है
लगता है वो लड़की पागल है
साकल -जंजीर
दरवाजे में लगाई जानेवाली जंजीर।
गहने की तरह गले में पहनने की चाँदी सोने की जंजीर
कायल - किसी के तर्क या विचार को ठीक समझकर मान लेने वाला।
बात का उत्तर न दे सकने के कारण चुप हो जानेवाला।
मुहावरा (किसी को) कायल करना अपने तरक से या समझा बुझा कर अपने अनुकूल करना।
बाकल - वल्कल; वृक्ष की छाल
..Azaz AHMAD..
"SHADEED"