रंग लाके रहेगी.-----मुहम्मदली वफा
ये तेजो तुंद हवा, रंग लाके रहेगी,
मझ्लूमोंकी बद दुआ ,रंग लाके रहेगी
तु चाहे रहे उंचे फलक्बोस मकांनो में
झुग्गीसे गरीबोंकी सदा, रंग लाके रहेगी.
ये बाग सारे झूल्मके हमारे खुंसे बने है,
आ रही है अब खिंजा, रहे रंग लाके रहेगी.
नफरत अदावत से फैले हैं सब अमराज
अब ये महोब्बतकी दवा , रंग लाके रहेगी.
खूश ना हो मस्जिदें विरान देखा कर,
अब ये मुजाहिदकी अजां, रंग लाके रहेगी.
नफरतकी दीवारें चुननेमें लगे तुम.
एक दिन हमारी वफा, रंग लाके रहेगी.
20जान्युआरी2013