chetaavani -
18th November 2012, 04:53 PM
जीवन के कंटकमयी पथ पर,
तुम्हे अकेले चलना होगा
आएँगी लाखों विपदाएँ,साथ छोड़ देंगी आशाएँ
प्रेम जयोति पर तुम्हे वावरे,
बन परवाना जलना होगा
पगले क्यों तू भूल रहा है ,
जग किस के अनुकूल रहा है
तुम्हे यह अनुपम ओर सुखदाई,
अपना राह वद्लना होगा
कौन तुम्हारी पीड हरेगा,
कौन तुम्हारी धरी धरेगा
तेरे नैनन जल को पगले,
आँसू बनकर ढलना होगा
यह जॅग तुम पर नाम धरेगा,
ओर तुझको बदनाम करेगा
सोच ले तेरे नैनो में फिर,
एक बूँद क्या जल ना होगा Dr V P Azaad
Rashmi Sharma
path par kaante bahut hain tere
par manjil par jaana too.ne
dar na jatilata se jeewan ki
isko saral banana too.ne
pasat na hone paye honsle
khud ka sahas khud hi juta le
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