मेरी एक नई गजल आप सब की नजर. . . . .
कुछ तो है दिल में तेरे छुपा के रखा
यूं ही नहीं सिर को तुने झुका के रखा ।
कैसे होगी रोशनी घर में तेरे
है चिराग को अब तक तुमने भुझा के रखा
कब लौटेगा माही मेरा प्रदेश से
इसी फिक्र ने चैन मेरा उड़ा के रखा ।
मिल जाए अगर खुदा मुझे तो पूछूंगा
क्यों भेद तेरा सब से तूने छुपा के रखा
छींटाकशी है जमाने में चारों तरफ
फिर भी मैंने दामन मेरा बचा के रखा ।
राजिंदर सीप