गीत : हुस्न का रंग हम पर बरसने भी दो
हुस्न का रंग हम पर बरसने भी दो,
फूल खिलने से पहले बिखर जाए ना । प्यार के बादलों को बरसने भी दो, ये मोहब्बत का मौसम गुजर जाए ना । हुस्न का रंग................ वो क्या मौसम थे अपने मिलन के सनम, हम बुलाते जिधर तुम आ जाते उधर । अब वो मौसम नही वो मिलन भी नही , हम अकेले इधर तुम अकेले उधर । है खुदा से गुजारिश यही अब सनम, हम मिलें रात को और सहर आए ना । हुस्न का रंग................ जब भी याद आई हमको तुम्हारी हँसी , हम भी हँसते रहे और हँसाते रहे । जब भी याद आए आँसू तुम्हारे हमें, हम भी चुपके से आँसू बहाते रहे । कट सके जो सफर बिन तुम्हारे सनम, मेरे जीवन में ऐसा सफर आए ना हुस्न का रंग................ तुम को दिल के सिवा क्या करूँ मैं अता, प्रेम ही मेरी पूँजी तुम्हे है पता । तुमको देखूँ तो पलके झपकती नही , दिल को कैसे सँभालें हमे दो बता । अब जुदाई के बारे में सोचो न तुम , यूँ ही हँसते हुए आँख भर आए ना । हुस्न का रंग................ By : मुकेश पाण्डेय |
waah mukesh ji itni dhamaakedaar peshkash kar di hai aapne ke baar baar padh raha hoon aapki kavitaa....
bahut acchaa likha hai aapne.. likhte rahiye Shaad.... |
waaah.....bahut pyari kavita mukesh ji..likhte rahiye...
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lazwaaaaaaaaaaaaab ji bahut khub.................
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areee wahhh...Mukesh ji...bahut hi khoobsurat likha hai aapne, aapko aaj pehli baar pad rhi hu...bahut accha lga aapko padkar.
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Dilkash lagi mujhe aapka andaaz-e-bayaan Likhtey rahiye Apne kalaam se nawaazte rahiye |
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