मुश्कील सफर -
7th September 2006, 07:56 AM
मुश्कील सफर
कहोतो काट कर दे दुँ ये कलेजा ये जिगर.
निटाना है मुझे टी प्यारका मुश्कील सफर
अफ्साँ राझ न हो जाए कुचए सरगोशीमे
कटी मिलतेहै तो टी झुकी झुकीसी नजर.
चाहिये एस्तेकामत कुछ बुलन्द उसुलोंकी
मजाला कयाहै कि बदले चहरेको शहर.
वो कहाँ है और कीतना दूर है उसका मकाँ
करीब है शएह रग से टी कर तु नज.र
मेरे खून मेँ अब टी रवाँ है वो लावा,
तेरे कदमोमँ की आईथी जब आहट ईधर.
हम ‘वफा’ तायर नही एसे जो उदड्ते फेरे
चल दिये उस तरफ चल गई हवा जीधर.
_____________मुहम्मदअली टैडु’वफा’
6सेतँबर 2006
निटाना=neebhaanaa
alwayas read wnen ever there is टा as bhaa
Last edited by wafa ali; 7th September 2006 at 07:59 AM..
|