11th January 2011, 07:55 PM
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ज़ुल्फ़ आधी खोल के वो सो गए
इसलिए तो चाँद सारा गुम रहा
आखिरी शब तेरी गलियों में दिखा
और फिर 'साहिल' आवारा गुम रहा
ता उम्र रहा इक रोज़-ए -मुकम्मल का इंतज़ार
किसी में शाम न मिली तो किसी में सहर नहीं
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