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Originally Posted by parveen komal
आज काल कितना जरूरी है पैसा
जिन्दा रहने की मज़बूरी है पैसा
किसी के लिए वक़त दो का निवाला
किसी के लिए मगरूरी है पैसा
कहीं सूखी रोटी कहीं सूखा चिबडा
कहीं चिक्कन चिल्ली तन्दुरी है पैसा
सर्द खून करता सफ़ेद कर देता
बना देता रिश्तों मे दूरी है पैसा
ता उम्र कोमल न हो पाए पूरी
उम्मीद ऐसी अधूरी है पैसा
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Bahut Khoob ... Praveen Ji !
AchChhe ChiTr Khinche HaiN ... Paise Par !
Woh Bhii Khoobsurat Lahze MeN ... UmdaaH !
Dilee Mubaaraqbaad !!!
Aaindaa Bhii Aate RaheN Aur Likhte RaheN .......