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Originally Posted by ISHK EK IBADAT
[I]
हवा का झोंका नहीं हूँ जो गुजर जाऊंगा
तू ना भी चाहे तेरे दिल में ठहर जाऊंगा
अपने ही दिल की बंदिशों में बंधा हूँ मैं
तेरे नाम की कश्ती से पार उतर जाऊंगा
दीन बनके तेरी चौखट पर आएगा जो
वादा है तेरा झोलियाँ उसकी भर जाऊंगा
ख्वाबों ही ख्वाबों में बन गया चाहत मेरी
ख्वाब हकीकत ना हुए तो मर जाऊंगा
डगमगाती कश्ती का मुसाफिर हूँ मैं
पतवार ना थामी तो लहरों में बिखर जाऊंगा
'इश्क' की दुनिया में होते हैं इश्क के चर्चे
इश्क में हुआ तेरा चर्चा तो निखर जाऊंगा
राधे राधे
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डगमगाती कश्ती का मुसाफिर हूँ मैं
पतवार ना थामी तो लहरों में बिखर जाऊंगा
'इश्क' की दुनिया में होते हैं इश्क के चर्चे
इश्क में हुआ तेरा चर्चा तो निखर जाऊंगा
bahot sunder khayaal
waaaaaaaaaah.
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