Quote:
Originally Posted by pari
ये कुछ मेरे जज्बात है जो आप सभी के रूबरू कर रही हु...गर दिल को छू जाये तो अपने ख्याल जाहिर कीजियेगा ..
छोड़ के शहर अपना परदेसी हो गए
लौटे तो घर न मिला, दोस्त अजनबी हो गए
जो करते थे हर बात पे तकरार
उनकी बातों के सिलसिले अब कम हो गए
पहुंचे जब यार की महफ़िल में
कई रिश्ते थे नए, हम पुराने हो गए
तलाश रही थी नज़रें किसी एक को
जो कल तक थे हमारे, वो किसी और के हो गए
मुद्दत से थे जो दिल में गुमान
आईना दिखा गया, हम क्या से क्या हो गए
अकेले तो हमेशा रहते थे
अब लग रहा है हम तनहा हो गए
परी
|
Pari ji
Kitano dino baad aapko padh raha yaad nahi... Likhane ke pichhe ki dard bhari kashish saaf jhalak rahi hai. Har Sher aaine ki tarah surat bayaan ker rahe hai..daad qubul kijiye..
Shubhkamnao sahit
Akant...