ऐ खुदा, तू ही दे बता, कोई ऐसी जमीं कोई ऐसी जमीæ -
29th February 2016, 09:36 PM
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
जहाँ एक दूजे को प्यार सभी करते हो
जहाँ लोग ना कभी भूखें मरते हो
जहाँ रिश्वतखोरी का नाम ना हो
जहाँ नेता ना अपनी जेबें भरते हों
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
घर्म का जहाँ ना गन्दा खेल होता हो
बिन माँ का बच्चा ना कोई रोता हो
जहाँ चैन सकूँ को ओढ़े सब सोते हों
गरीब किसान ना कर्ज़ को ढ़ोते हों
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
जहाँ शिक्षा का ना कोई व्यापार हो
सरहदों के बीच ना कोई तलवार हो
माँ बहनों की इज़्ज़त सलामत रहें
रिश्तें ना जहाँ होते तार तार हों
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
साफ़ हर मन का कोना कोना हो
बूढ़ी आँखों को ना मिले रोना हो
कोई बहन दहेज़ की बलि न चढ़े
कोई अनपढ़ ना हो हर कोई पढ़े
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
देश की खातिर मरना मन मन में हो
जहाँ देशभक्ति हर कण कण में हो
झूठ कपट दिखावे से कोसों दूर हों
इंसान बनकर जीयें ना कोई गरूर हो
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
बेटा बाप से नज़रे ना चुराता हो
भाई भाई को अकड़ ना दिखाता हो
एक छत के नीचे खुशहाल परिवार हो
जहाँ प्यार, बस प्यार, बस प्यार हो
ऐ खुदा, तू ही दे बता
कोई ऐसी जमीं
कोई ऐसी जमीं ......
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