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Originally Posted by m.mayoos
सोचें कुछ, कुछ और हो जाए
हैफ़ हर दिन यूं ही गुज़र जाए
ऐ दिल-ए-शातिर, बता की क्या पेच है
की हर ख्याल उनके ख्याल में बदल जाए
कुछ तो अलग है ये तामिर-ए-शहर
हर गली से उनके घर का रास्ता निकल जाए
मेरी हर दुआ हुई बातिल, की हाथ उठाते ही
खुदा के नाम से पहले तेरा नाम निकल जाए
उन्हें इतना भी याद ना करो 'मायूस'
की हिचकी आते आते उनका दम निकल जाए
हैफ़- Alas, पेच- Trick, बातिल- Useless, तामिर- Plan,
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ji bhaut sunder.........................
ऐ दिल-ए-शातिर, बता की क्या पेच है
की हर ख्याल उनके ख्याल में बदल जाए
उन्हें इतना भी याद ना करो 'मायूस'
की हिचकी आते आते उनका दम निकल जाए