जहाँ ज़िंदगी न थी वहां गम न थे -
24th October 2014, 10:44 AM
जहाँ ज़िंदगी न थी वहां गम न थे
जहाँ खुदा न था वहां अलम न थे
राह-ए-वफा में चले थे हम साथ साथ
मुड़कर देखा तो तेरे नक्श-ए-कदम न थे
जल ना जाते मगर ए बूत-ए-आफताब
आपके इतने करीब भी तो हम न थे
कुछ तो ये दिल भ़ी था वाकिफ-ए-गम
और जाँ लेवा भ़ी तो तेरे सितम न थे
इक दर्द ने खोखला बना दिया 'मायूस'
वर्ना जज़्बात हम में भी कुछ क़म न थे
ता उम्र रहा इक रोज़-ए -मुकम्मल का इंतज़ार
किसी में शाम न मिली तो किसी में सहर नहीं
Last edited by m.mayoos; 24th October 2014 at 11:05 AM..
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