माँ के कातिलों की गर्दन उतार देता, अगर फौजी की जगह कोई और होता
उसको माँ का आँचल आसमान से बड़ा नज़र आता था
मुसीबत के वक्त वो अम्मा की गोद मे छुप जाता था
माँ ने मुश्किलों से पाल कर बड़ा किया , पढ़ाया
जज़्बा देशभगती का उस के सीने मे जगाया
बड़ा हुआ , लेकिन माँ के आगे फिर भी बच्चा था
दुनिया के सारे रिश्ते झूठे थे, बस माँ का रिश्ता सच्चा था
माँ की पूजा करने वाला , भारत माँ की इबादत में खो गया
दिलेर माँ का दिलेर लाल ,भारत की फौज मे भर्ती हो गया
वो सरहद पर भारत माँ की रक्षा कर रहा था
उसे क्या पता था, गाँव मे जल उसका घर रहा था
गाँव के बदमशों ने , उसकी बूढ़ी माँ को, पत्थरों पर पटक कर मार डाला
जला कर उसकी माँ का जिस्म, इंसानियत को कर तार तार डाला
फौजी के हाथ कानून से बंधे हैं , इस लिए सरहद पर बेबस लाचार है
दबंग बदमाश कातिलों की रखवाली के लिए, वकीलों की फौज तैयार है
भारत माँ का वो सपूत अब भी, सरहद पर छकके छुड़ा रहा है
लेकिन अपने देश के बदमाशों दबंगों से, मुंह की खा रहा है
अगर सैनिक ना होता वो , तो गाँव के इतिहास मे नया दौर होता
माँ के कातिलों की गर्दन उतार देता, अगर फौजी की जगह कोई और होता