इंटरनैट संसार -
13th March 2018, 11:36 AM
दोस्तो
इंटरनैट हमारे जीवन का अटूट अंग किस हद तक बन गया है, उसका मैंने अपनी इस कविता में बयां करने की कोशिश की है। आपकी राये का इंतज़ार रहेगा।
हरदेव “अशक”
इंटरनैट संसार
इंटरनैट का गज़ब संसार
ज़रा देखें इसका विस्तार।
‘गूगल अर्थ’ का गलोब घुमाओ
दूर बैठे घर अपने हो आओ॥
मन में गर कोई स्वाल उठे है
‘गूगल’ करो तुरंत जवाब मिले है।
लाईबरेरी में दिल नही लगता
अखबार पढ़ना मुशकिल है लगता ॥
फेस बुक का नही कोई जोड़
पोसट करने की लगी है होड़।
बंदा मरता मरने दो
फोटो खींचो अप-लोड करो ॥
‘वाट-स-एप’ पे जब चैट करो
सब बताने से परहेज़ करो।
हैकर-अटैकर चुस्त बड़े हैं
परदेसी भी पड़ौस खड़े हैं॥
‘टवीट-टवीट’ अब बंदे हैं करते
पंछी तो गुम हो गए हैं लगते।
टरंप मोदी जी करते नही थकते
भगत हज़ारों पीछे हैं चलते॥
‘अमेज़ोन’ का का पड़ा इतना ज़ोर
‘सीअरज़, ईटन’ का हुआ बिस्तर गोल।
इंटरनैट पे अब शौपिंग होती
पेमैंट डलिवरी देर ना लगती॥
फेक निऊज़ों ‘ की भरमार
साइबर फौजी करते वार।
शीत युद्ध ने लिया नया मोड़
साईबर सेना देश के लिये बेजोड़
21वीं सदी का चमतकार
तेज़ बड़ी इसकी रफतार।
अच्छे बुरे की टकसाल
”अश्क” तू सीख ले इसकी चाल॥
· सीअरज़, ईटन मशहूर रिटेल सटोरज़ का दीवालीया
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