तालिबान यह कैसा तेरा … मजहब के नाम जिहाद है !!
किसी माँ ने सुबह बच्चे का… डब्बा तैयार किया होगा ! किसी बाप ने अपने लाल को.. खुलते स्कूल छोड़ दिया होगा !!
किसे पता था वह .. अब लौटेगा नहीं कभी ! किसे पता था गोलियों से.. भून जायेंगे अरमान सभी !!
बच्चो में रब है बसता.. उस रब से मेरी फ़रियाद है !! तालिबान यह कैसा तेरा … मजहब के नाम जिहाद है !!
मेमनों की तरह बच्चे… मिमियाए जरूर होंगे ! खौफ से डर कर आँखों में आंसू आये जरूर होंगे !!
तुतलाये शब्दों से रहम की... भीख भी तुझसे मांगी होगी ! अपने बचाव को हर सीमाये.. उसने दौड़ कर लांघी होगी !!
मासूमो के आक्रन्द से भी न पिघले.. हिम्म्त की तेरे देनी दाद है !
अरे आतंकी... यह कैसा तेरा … मजहब के नाम जिहाद है !!
भारत से दुश्मनी निभाने… मोहरा बनाया उसने जिसे ! जिस साप को दूध पिलाया.. वही अब डस रहा उसे !
हे आतंक के जन्मदाता…. अब तो कुछ सबक ले ! यदि शरीर में दिल है .. तू थोड़ा सा तो सिसक ले !
आतंक के साये ने हिला दी.. पाकिस्तान की बुनियाद है ! तालिबान यह कैसा तेरा… मजहब के नाम जिहाद है !!
कौन धर्म में हिंसा को.. जायज ठहराया गया है ! कुरान की किस आयत में .. यह शब्द भी पाया गया है !!
कब तक तुम्हारा बच्चा.. इस तरह बेबस रहेगा ! मांग कर देखो हाथ… साथ हमारा बेशक रहेगा !!
सबक बहुत मिल गया अब.. आतंक की खत्म करनी मियाद है ! तालिबान यह कैसा तेरा… मजहब के नाम जिहाद है
! अश्रूपूरित श्रद्घाजंल