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मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप -
21st July 2010, 05:17 PM
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
gopaldas neeraj
mujhe bahut pasand hai yah kavita
aap bhi padhiyega
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Webeater
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22nd July 2010, 03:32 PM
Bahut badiya lagi mujhe yeh kavita. Waise bhi Neeraj ji ki sabhi kavitayen acchi hain. Anyway,thanks for sharing.
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PASSIONATE
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26th July 2010, 07:00 PM
Quote:
Originally Posted by shakuntala vyas
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
gopaldas neeraj
mujhe bahut pasand hai yah kavita
aap bhi padhiyega
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Wah shakuntala ji kya khoon kaam kiya aapne mujhe bhi ye kavita bahut bahut pasand aai bahut bahut shukriya hamare saath bhi share karne ke liye
aur bhi aisi kavita ho to jaroor share kariyega.
Keep sharing........
Aapka Santosh..........
Bahut tanhaiya.N hai.N mere hisse mei.N churalo tum
Tumhara saath meri tanhaiyo.N se kuch to behtar hai...
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Aapki dost
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26th July 2010, 09:49 PM
Bohat acchi kavita hai......hum sab ke saath baantne ke liye dhanyawaad...
Zainy
PalkoN ki baand ko tod ke daaman pe aa gira
Ek aaNsu mere zabt ki tauheen kar gaya...
Nm
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devil ! forgive me
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26th July 2010, 10:38 PM
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
bahut hikamaal ki shayri se rubru karvaya aapne saadhuvaad
07666027379,09041116001,09876442643,
09417142513,09914097007,09625494246
Mail: parveenkomal@parveenkomal.com
www.parveenkomal.com/blog
{ BURA NA SUNENGE BURA NA DEKHENGE BURA NA BOLENGE
ACHHA LIKHENGE,KOI BURA KAHEGA TO KHUD KO TATOLENGE }
Wohi rizq deta jahaan ko , wohi zaat sab se azeem hai
Meri muflisi pe na hans ke wo , tera taaj sar se giraa na de
}QadeerToopchi{
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27th July 2010, 03:52 PM
Quote:
Originally Posted by parveen komal
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
bahut hikamaal ki shayri se rubru karvaya aapne saadhuvaad
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tahedil se sukerguzar hu
mujhe neeraj ki yah kavita itani achi lagty he kai bar padhty hu fir bhi nayi lagty hai aur padhty hu
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27th July 2010, 03:54 PM
Quote:
Originally Posted by santosh_kumar
Wah shakuntala ji kya khoon kaam kiya aapne mujhe bhi ye kavita bahut bahut pasand aai bahut bahut shukriya hamare saath bhi share karne ke liye
aur bhi aisi kavita ho to jaroor share kariyega.
Keep sharing........
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tahedil se suker guzar hu apko yah kavita achi lagy
zarur jo mujhe pasand he un kavitao ko post karungy
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Webeater
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28th July 2010, 07:37 PM
bahut hi achi poem hai.
thanks for sharing.
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31st July 2010, 03:02 PM
Quote:
Originally Posted by shakuntala vyas
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
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mujhe bahut pasand hai yah kavita
aap bhi padhiyega
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shukria shakuntala ji aapki badolat itni aachi kavita padhne ko mili...............
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31st July 2010, 06:53 PM
Quote:
Originally Posted by Rashmi sharma
shukria shakuntala ji aapki badolat itni aachi kavita padhne ko mili...............
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thanks a lot
sada khush raho
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1st August 2010, 07:19 PM
Quote:
Originally Posted by shakuntala vyas
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
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हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
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मैं पीड़ा का...
gopaldas neeraj
mujhe bahut pasand hai yah kavita
aap bhi padhiyega
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wah wah...kya kahuN..?
shukriya shakuntala vyas ji....
'E Taahire Laahuti!!!
Uss Rizk Se Tau Maut Bhali
Jis Rizk Se Aatee Ho
Tere Parwaaz MeiN Kotaahi....
vikramjethi@gmail.com
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man ki kalam.....
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6th August 2010, 12:19 AM
Quote:
Originally Posted by shakuntala vyas
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की
हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ?
मीलों जहाँ न पता खुशी का
मैं उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ नित
होंठ करें गीतों का न्योता,
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
नभ ने सब तारे जड़ डाले
मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
मैं जन्मा इसलिए कि थोड़ी
उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज़ नए कंगन जड़वाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल तुम सुखान्तकी, मैं दुखान्तकी
जुड़ भी गए अंक अपने तो रस-अवतरण कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
इतना दानी नहीं समय जो
हर गमले में फूल खिला दे,
इतनी भावुक नहीं ज़िन्दगी
हर ख़त का उत्तर भिजवा दे,
मिलना अपना सरल नहीं है फिर भी यह सोचा करता हूँ
जब न आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा ?
मैं पीड़ा का...
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mujhe bahut pasand hai yah kavita
aap bhi padhiyega
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namaskaar shakuntala ji!!
bahut sunder kavita!!
padhkar achcha laga!!
khush rahiye !! aapka........ mitra.........prem anjana
anjana prem sab meri muskurahat se jalte hai, mai sabko hasata chala gaya. pasand thi jamane ko meri barbadi, mai unpe dil-o-jaan lutata chala gaya.
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11th August 2010, 03:39 PM
Quote:
Originally Posted by prem_anjana
namaskaar shakuntala ji!!
bahut sunder kavita!!
padhkar achcha laga!!
khush rahiye !! aapka........ mitra.........prem anjana
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thanks a lot
god bless u
sada khushj raho
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RADHE RADHE
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Join Date: Oct 2009
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11th August 2010, 05:13 PM
shakuntla jee
radhe radhe
neeja ki is sundar rachna ko share karne ka shukriya
aapki pasand lajawaab hai
aati rahiye
duaon ke saath
Aapka Apna Ishk
'इश्क' के बदले इश्क चाहना तिजारत है
इज़हार किससे करें महबूब तो दिल में है
email: rkm179@gmail.com
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11th August 2010, 05:15 PM
namaste diii, bahut acchi kavita share ki hai aapne....thanks for sharing.
apna khayal rakhiyega
aapki
Sunita
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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22nd August 2010, 03:30 PM
Quote:
Originally Posted by sunita virender
namaste diii, bahut acchi kavita share ki hai aapne....thanks for sharing.
apna khayal rakhiyega
aapki
Sunita
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thanks dear
mujhe neeraj saheb ki kavitaye bahut pasand hai
jkhusi hui ki aap ko bhi pasand aay
thanks
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1st July 2013, 06:35 PM
ati sunder .......thanks for sharing
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