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अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल, -
11th January 2016, 03:21 PM
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
हो सके तो नयी कोशिशें बनाते हैं
तुम अपनी तरह से नाम कमाओ
हम अपनी तरह से दिल कमाते हैं।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
- चाँद
Sachh bolne ka hausla to, hum bhi rakhte haiN lekin
Anjaam sochkar, aksar khaamosh hi reh jaate haiN.
- Chaand
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Moderator
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Posts: 15,199
Join Date: May 2006
Location: Chandigarh (Mohali)
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11th January 2016, 03:31 PM
Quote:
Originally Posted by Chaand
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
हो सके तो नयी कोशिशें बनाते हैं
तुम अपनी तरह से नाम कमाओ
हम अपनी तरह से दिल कमाते हैं।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
- चाँद
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wahhhh Chaand bhai....bahut hi umda aur khoobsurat ehsaas...aapki nazm muje behad acchi lagi...apne ehsaas hamare saath share karne ke liye bahut bahut shukriya.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
.....Sunita Thakur.....
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया
....के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए...
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RADHE RADHE
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Posts: 4,115
Join Date: Oct 2009
Location: DELHI
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11th January 2016, 03:59 PM
bahut khoob chaand bhai Nazm achhi lagi...............
Aapka Apna Ishk
'इश्क' के बदले इश्क चाहना तिजारत है
इज़हार किससे करें महबूब तो दिल में है
email: rkm179@gmail.com
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Moderator
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Posts: 1,113
Join Date: Jun 2003
Location: Mumbai
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11th January 2016, 04:08 PM
Chand bhaiyya......bohut achi lagi aapki ye naam....
Aate rahiye...
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Moderator
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Posts: 5,211
Join Date: Jul 2014
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11th January 2016, 04:52 PM
Quote:
Originally Posted by Chaand
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
हो सके तो नयी कोशिशें बनाते हैं
तुम अपनी तरह से नाम कमाओ
हम अपनी तरह से दिल कमाते हैं।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
- चाँद
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Bahut khoob nazm chaand ji....
Achcha laga aapko padhna.. aate rahiyega..
Madhu..
अर्ज मेरी एे खुदा क्या सुन सकेगा तू कभी
आसमां को बस इसी इक आस में तकते रहे
madhu..
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Shayar
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Posts: 569
Join Date: Apr 2002
Location: New Delhi, India
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Waah -
11th January 2016, 06:58 PM
Quote:
Originally Posted by Chaand
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
हो सके तो नयी कोशिशें बनाते हैं
तुम अपनी तरह से नाम कमाओ
हम अपनी तरह से दिल कमाते हैं।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
- चाँद
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Chaand Bhai
Bohat dinoN ke baad aapki aamad hui hai. Bazm meiN raunaq si nazar aati hai. Aapki ye nazm ehsasaat ko chhu jaati hai. Bohat achchi lagi. Issi tarah share karte rahiye.
Khaksaar
Praveen
raah meiN hi manziloN ka zikr mat chedo Praveen
manziloN ne sun liya toh aur woh badh jaayeNgi
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Super Mod
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Join Date: Aug 2001
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12th January 2016, 12:48 PM
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Originally Posted by Chaand
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
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- चाँद
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Kehte hai chaand nikal aaye to sama rangeen ho jaata hai roshni ki ek jhalar mein mann jhoom uthta hai....SDC ka chaand aaj phir ubhar ke aaya aur umeed raheGii yeh yun hi roshan rahe...Bahut khoob ehsaas huye mere bhai yunhi likhte rahiYe
Qasid
___________________________________________
नाम-ए-वफ़ा की जफ़ा बताएं
क्या है ज़हन में क्या बोल जाएँ
रफ़्तार-ए-दिल अब थम सी गयी है
'क़ासिद' पर अब है टिकी निगाहें
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Sifar
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Posts: 4,757
Join Date: Aug 2004
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15th January 2016, 10:10 AM
Bohat hi accha .. chaand bhai.. jyada kehna kam kehna hoga.. khyaal rakhiye apna ..
Aapka bhai
Kunaal
KunaaL (Sifar).........
Hai 'sifar' bhi reyazi ka hissa..
Shayrii bhi hisaab ki hogi..
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Tere Intzaar Mein....
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Posts: 1,181
Join Date: Feb 2010
Location: Ludhiana(Punjab)
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16th January 2016, 01:45 PM
bahut khooooooooooooooobbbbb ji.........
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~$uper M0der@tor~
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Join Date: Feb 2006
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16th January 2016, 02:27 PM
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Originally Posted by Chaand
तुम्हारी मंजिलें बदल गई है और
हम भी उन राहो से गुजर नहीं पाते,
न वक़्त तुम्हे है मिलने का और
हम भी खुदको वक़्त नहीं दे पाते।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ शक्ल तुम्हारी बदल गई है और
कुछ अक्ल हमने बदल ली है,
तुमको आदत है भूल जाने की
और हम कोशिश नहीं करते बताने की,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम धर्मो में जीने लगे ही और
हम कर्मों की बात करते हैं,
तुम बाहर की खबर रखते हो
हम भीतर ही नज़र रखते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
तुम मेरी माँ की कद्र नहीं करते
और में भी तुम्हारी माँ को जान नहीं पाता,
कुछ भी तो मिलता नहीं हममे
में ये बात खुदको समझ नहीं पाता,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहींए दिल,
कुछ तुम गिर गए हो नज़रों से
और में भी खुदको उठा नहीं पाया
न तुम समझे फलसफा जिंदगी का
न में खुदको इंसान बना पाया,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल,
कुछ भी तो नहीं मिलता हममे
हम बेकार ही कोशिश किये जाते हैं,
बस भेड चाल है दोस्त बढ़ाए जाने की
हम बस फीके से चेहरों से मिले जाते हैं,
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
हो सके तो नयी कोशिशें बनाते हैं
तुम अपनी तरह से नाम कमाओ
हम अपनी तरह से दिल कमाते हैं।
अब मुलाक़ात मुमकिन नहीं ए दिल
- चाँद
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waahh chaand bhai kyaa baat hai..... bahut ummdah soch o fikr ka namuna hai ye kalaam aapka.... merii daad qubool kijiye... aate rahiye
Shaad........
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