दिल की बातें -
12th January 2019, 11:03 AM
उसने पूछा ... मेरे खातिर क्या कर सकते हो
इस जमीन ओ आसमान की
किस किस हद तक गुजर सकते हो,
मेने कहा...अदना से इंसान हूँ
न ठीक से जीना आता है और
न मरने का जिगर रखता हूँ,
तुम्हारी सूरत का कायल हूँ
क्या मोहोब्बत करने की गुस्ताखी कर सकता हूँ,
एक काम करो तुम हाँ करदो
इस खुशी से मेरा दिल भर दो
वो बोली...हटो बहुत डिमांडिंग हो तुम तो
अपना पर्स निकालो ओर पहले
मेरे इन ब्रांडेड चाँद-सितारों का बिल तो भर दो
फिर सोचेंगे तुम्हारे दिल का क्या करना है,
ओर में गहरी सोच में पड़ गया
पहले घर का राशन जरूरी था? या के इस महँगी सी मोहोब्बत का बिल को भरना था?
बचपन का पढ़ा हुआ आखिर काम आ ही गया
मेरी चादर जो मेरी उम्मीदों से छोटी थी शायद
बाहर ठंड बहुत थी और में उसमे ही समा गया।
Sachh bolne ka hausla to, hum bhi rakhte haiN lekin
Anjaam sochkar, aksar khaamosh hi reh jaate haiN.
- Chaand
Last edited by Chaand; 12th January 2019 at 11:07 AM..
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