सोचने का स्तर क्या हो सकता है -
26th September 2009, 04:39 PM
ये मेरा स्वयं का नज़रिया है और ये मेरा मानना है कि शायर(लेखक) को अपनी हर रचना के लिये विषय और सोच मे कितनी सार्थकता और मौलिकता के साथ विभिन्नता भी दिखनी चाहिये इस बात पर खास गौर किया जाये , क्योकि आपकी रचनाओ को पढनेवाला ये कह सकता है कि आप एक ही तरह की धारा मे लिखते है ऐसी स्थिति मे लेखन(सीमित) हो जाता है अथाह शब्दो की जानकारी के बावजूद भी ये स्थितियां जन्म लेती है. इसलिए आप जितना सोच सकते है सोचे इसमे कन्जूसी न करे......
हर आधार से
हर स्तर से
औरो के नज़रिये से
किसी कहानी के सार से
दुनियां के बदलते हालात से
और गम खुशी से
हर पल मे पैदा हुई स्थिति मे अपने आप को रख कर सोचियेगा सारा मन्जर वजूद को सोचने के लिए मजबूर कर देता है ..............?
Ajay Nidaan (09630819356)
http://www.anidaan.@gmail.com
All right reserved with Poet@Ajay nidaan
Kisi ek chehare ki talash me bhatakti rahee zindagi
par mila nahi zindagi ko apni pahchaan ka chehara.
|