मुस्कुराओ न मेरी जान निकल जाती है. -
12th October 2012, 09:05 PM
मुस्कुराओ न मेरी जान निकल जाती है.
उनकी सांसों से वफाओं की महक आती है,
जैसे गुलशन में, फिज़ाओं की महक आती है,
उनकी....
ज़ुल्फ़ लहराए तो महके है, तब्बसुम का शहर,
उठें पलकें तो चांदनी सी, बिखर जाती है,
उनकी...
उनकी आँखें हैं य, इश्क पे तारीख़ लिखी,
सुर्ख़ होंठों पे, रंगीनीओं की वादी है,
उनकी...
कोई कह दे उन्हें, ऐ जान-ऐ-ग़ज़ल, जान-ऐ-चमन,
मुस्कुराओ न, मेरी जान निकल जाती है,
उनकी....
तेरे जैसा तो इक भी नहीं है, दुनियाँ मैं,
पूछ लो ज़मीं से, जो आसमां की कसम खाती है,
उनकी सांसों से वफाओं की महक आती है,
जैसे गुलशन में, फिज़ाओं की महक आती है,
शाम कुमार
Last edited by Sham Kumar; 12th October 2012 at 09:16 PM..
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