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Originally Posted by Azaz AHMAD
तेरी यादें जो है मुझे किसी ओर का अब होने नहि देती
मुझको ओरो के ख्यालों मे चाहकर भी खोने नहि देती
पोंछ लेती थी तु मेरे आँसु फिर ना रोने की कसम देकर
वो तेरी यादें ए कसम मुझे मेरी पलके भिगोने नहि देती
ये हर पल तेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने ला देती है
तेरी यादें ही मुझको यादों मै तेरी खुलकर रोने नहि देती
आज कल नींद भी एक जागता हुआ ख्वाब बन गई हैं
सफरीन तेरी यादें हैं के जो मुझे रात भर सोने नहि देती
.. Azaz AHMAD..
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Khoob ehsaas hai azaz miyaa yunhi likhte rahiye