आज कल पाँव जमींपर नही पड़ते मेरे -
27th July 2015, 09:54 PM
आज कल पाँव जमींपर नही पड़ते मेरे
बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए
जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है
लोग कहते हैं की बस हाथ की रेखा है
हम ने देखा है दो तकदीरों को जुड़ते हुए
नींद सी रहती है, हल्कासा नशा रहता है
रात दिन आँखों में एक चेहरा बसा रहता है
परलगी आँखों को देखा हैं कभी उड़ते हुए
जाने क्या होता है, हर बात पे कुछ होता है
दिन में कुछ होता है और रात में कुछ होता है
थाम लेना जो कभी देखो हमे उड़ते हुए
Qasid
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नाम-ए-वफ़ा की जफ़ा बताएं
क्या है ज़हन में क्या बोल जाएँ
रफ़्तार-ए-दिल अब थम सी गयी है
'क़ासिद' पर अब है टिकी निगाहें
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