आरज़ू-ऐ-तम्मना... -
27th February 2024, 01:03 PM
आरज़ू-ऐ-तम्मना इश्क़ में,
हम खुद को संभाले बैठे है….
तुझ से दूर सही…
पर दिल-ऐ-खवाब.. सब तेरे हवाले कर बैठे है..
कोई होश में ला दो जनाब,
हम दिल क्या.. होश गवाए बैठे है…
इस गिरफ्त से दिल निकल भी जाता…
पर हम खुद.. इस कैद से... रिहा न होने की ज़िद्द किये बैठे है…
शाम की बेखयाली हो,
खुद को तेरी बाँहों में समेटे बैठे हो…..
दिल-ऐ-उम्मीद… यही आखिरी ख्वाइश …
जाने कब से… आखों में संजोए बैठे हैं…
जाने कब से… आखों में संजोए बैठे हैं…
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